Wednesday, April 29, 2009

न्याय की आँख से!



उनकी चाहत है फ़िर जाम उछाला जाए!
हमको डर है की न हाथों से निवाला जाए!!

अस्मिता देश की फ़िर दांव पे पांचाली सी!
युद्ध कुरुक्षेत्र का किस तरह से टाला जाए!!

न्याय की आँख से पट्टी न अगरचे उतरी!
दूर नज़रों से कहीं न उजाला जाए!!

उनको एहसास न क्यों दर्द का होगा यारों!
जिनके सीने में उतर शब्द का भाला जाए!!

आज गांधी की जगह राष्ट्र को वल्लभ चाहिए!
जिससे हर हाल में ये देश संभाला जाए!!

No comments:

Post a Comment