Wednesday, April 29, 2009
द्रौपदी के केश तो!
जो हवा के हैं बगूले, बुलबुले हैं!
ख़ुद को फौलादी दिखाने पर तुले हैं!!
कोठरी काजल की है जिनका ठिकाना!
कह रहे हैं दूध के वो तो धुले हैं!!
हैं हुए शिवी से बड़े दानी कोई क्या?
जो तुला पर मांस के बदले तुले हैं!!
राम को वनवास का आदेश देकर!
शोक में दशरथ उन्ही के क्यों घुले हैं?
पांडवों का बाहुबल किस काम का है?
द्रौपदी के केश तो अब भी खुले हैं!!
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